पेन्टोग्राफ संग्राहक को विस्तार से समझाइए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि पेन्टोग्रापफ संग्राहक के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

पेन्टोग्रापफ संग्राहक (Pantograph Collector)

संकर्षण प्रणाली में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला धारा संग्राहक पेन्टोग्राफ संग्राहक होता है। इसका प्रमुख लाभ यह होता है कि ट्रेन को विपरीत दिशा में भी प्रचालित किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत विपरीत दिशा में प्रचालन करने के लिए दूसरे धारा संग्राहक की आवश्यकता नहीं होती है। यह वायुमण्डलीय प्रभाव से प्रभावित नहीं होता है साथ ही यह लोकोमोटिव एवं शिरोपरि प्रणाली के मध्य लिंक बनाये रखता है। यह लिंक उच्च गति की स्थिति में शिरोपरि लाइन पर अतिरिक्त दाब बनाये रखता है। पेन्टोग्राफ संग्राहक की धारा संग्राहक क्षमता 2000 A से 3000 A तक होती है तथा इसके द्वारा लोकोमोटिव को 100 km/h से 160 km/h तक की गति पर प्रचालित किया जा सकता है।

पेन्टोग्राफ संग्राहक के प्रकार

पेन्टोग्राफ संग्राहक को इनकी संरचना के आधार पर निम्नलिखित प्रकारों में विभाजित किया जाता है-

डायमंड प्रारूपी पेन्टोग्राफ

इस प्रकार के पेन्टोग्राफ का निर्माण दाबित इस्पात चैनल सेक्शन (Pressed steel channel section) से किया जाता है, जिसमें पुनर्विनीकरण योग्य संग्राहक स्ट्रिप पंचभुजाकार फ्रेम के शीर्ष पर लगाया जाता है। इसमें स्प्रिंग की ऊर्ध्वाधर क्रिया के कारण संग्राहक स्ट्रिप, सम्पर्क तार पर बल पूर्वक सम्पर्क बनाए रखता है।

संग्राहक स्ट्रिप में पदार्थ का दाब और सम्पर्क दाब इतना रखा जाता है कि सम्पर्क तार में न्यूनतम क्षरण हो। डायमंड प्रकार के पेन्टोग्राफ के निर्माण के लिए प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ इस प्रकार का होना चाहिए कि इसका जीवन काल अधिक हो तथा अति-तापन की स्थिति में भी यह उच्च शक्ति को वहन कर सके।

इस प्रकार के पेन्टोग्राफ में धातुकृत कार्बन (Metallized carbon) का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रमुख लाभ यह है कि शिरोपरि लाइन में यह उच्च स्नेहकता (Lubricating) बनाये रखता है, जिससे क्षरण कम होता है।

वायु सिलेन्डर एवं तनावकारी स्प्रिंग को आधार पर संस्थापित किया जाता है। इनके द्वारा क्षैतिज शाफ्ट को घुमाया जाता है। ये सभी भाग एक साथ ऊपर एवं नीचे की ओर गति करते हैं। यह स्प्रिंग, पेनों को सम्पर्क तार के सतह पर आने वाली अनियमित सतह का अनुभव कराने में समर्थ होता है तथा फ्रेम के कुल भार को सन्तुलन भी प्रदान करता है। फ्रेम के इस भार को डेड भार (Dead weight) कहते हैं। 25 kV OHE प्रणाली में धारा का मान बहुत कम होता है, अतः पेन-युक्त पेन्टोग्राफ धारा संग्राहक का प्रयोग किया जाता है।

1500 V की दिष्ट धारा प्रणाली में जहां धारा संग्रहण की रेंज (Range) 2500A तक होती है वहां दो-पेन वाले पंच भुजाकार पेन्टोग्राफ का उपयोग किया जा सकता है। इसका आकार सामान्य पेन्टोग्राफ की तुलना में अलग होता है। यह उल्टे श्रंग के आकार के समान होता है, जिससे पेन, सम्पर्क तार से क्रॉसिंग वाले स्थान पर पृथक नहीं होता है तथा सैग (Sag) वाले स्थान पर सम्पर्क बनाये रखता है।

उपरोक्त धारा संग्राहक को लोकोमोटिव में स्वचालित एवं हस्त चालित प्रक्रिया के द्वारा उपयुक्त स्थिति में समायोजित किया जा सकता है, जबकि उपयोग न होने की स्थिति में इसे लोकोमोटिव की छत पर डाउन स्थिति में रखा जा सकता है।

डायमंड प्रारूपी पेन्टोग्राफ को समायोजित करने के लिए निम्नलिखित विधियां प्रयोग की जाती हैं।

(a) वायु प्रसार गुरूत्व पतित (Air expansion gravity lowerd)

(b) वायु प्रसार स्प्रिंग पतित (Air expansion spring lowered)

(c) स्प्रिंग प्रसार वायु पतित (Spring expansion air lowered)

वायु प्रकार के पेन्टोग्राफ में बायु दाब समाप्त होने पर लोकोमोटिव का प्रचालन बन्द हो जाता है। पेन्टोग्राफ में कम्पन को दूर करने के लिए एक स्थिर संरचना की व्यवस्था की जाती है। इसे लगाने के लिए अधिक क्षेत्रफल की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के पेन्टोग्राफ का प्रयोग ब्रिटिश रेलवे में किया जाता है।

फैवेली प्रारूपी पेन्टोग्राफ

हम जानते हैं कि 25 kV प्रत्यावर्ती संकर्षण प्रणाली के लिए पेन्टोग्राफ का भार कम होना चाहिए। अतः उपयुक्त आवश्यकता के अनुरूप फैवेली प्रारूपी पेन्टोग्राफ का प्रयोग किया जाता है। इसकी संरचना में एक बस होती है जिसके साथ सुस्पष्ट प्रणाली, द्रव चलित नियंत्रण प्रणाली तथा एक मुख्य वाल्व व दो उत्थक स्प्रिंग होती हैं। इन स्प्रिंगों के साथ 4 कुचालक लगे रहते हैं।

फैवेली पेन्टोग्राफ में आधार को सतह के साथ वेल्ड (Weld) कर दिया जाता है एवं इसके प्रचालन के लिए दो बाल बियरिगों का प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत प्रचालन नियंत्रण के लिए दो रबड़ के स्टॉप (Stops) लगाये जाते हैं।

जिस समय सिलेन्डर में दाबित वायु प्रवेश करती है, तब लींवर के प्रभाव के कारण खांचे युक्त रॉड रैखिक गति करती है, जिससे उत्थक स्प्रिंग (Raising spring) क्षैतिज धुरी को घुमाता है। इस प्रकार पेन्टोग्राफ तल से ऊपर उठकर शिरोपरि लाइन के सम्पर्क में आ जाता है।

इस स्थिति के बाद यह स्थिर हो जाता है और पिस्टन का स्ट्रोक पूरा हो जाता है। इस बिन्दु से आगे पिस्टन सामान्य प्रचालन के समय स्थिर रहता है। इस समय नियंत्रण सिलेन्डर की ओपन स्थिति में पिस्टन, नत धारण स्प्रिंग (Holding down spring) के प्रभाव से वापस सिलेण्डर में आता है तथा क्षैतिज धुरी भी विपरीत दिशा में गति करके पेन्टोग्राफ को नीचे ले आती है और OHE का संग्राहक से सम्पर्क टूट जाता है।

पेन्टोग्राफ संग्राहक के लाभ

पेन्टोग्राफ संग्राहक के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. पेन्टोग्राफ संग्राहक को दोनों दिशाओं में प्रचालित किया जा सकता है।
  2. संग्राहक के उच्च गति पर चालक से पृथक होने का खतरा न्यूनतम होता है।
  3. संग्राहक में खांचा न होने के कारण शिरोपरि लाइनों में विशेष निर्माण की आवश्यकता नहीं होती है।
  4. इसकी ऊंचाई को लोकोमोटिव से ही समायोजित किया जा सकता है।
  5. पेन्टोग्राफ संग्राहक को उच्च गति पर प्रयोग किया जा सकता है तथा उच्च गति पर सम्पर्क तार से लगातार सम्पर्क में बना रहता है।
  6. इसमें उच्च स्नेहकता के कारण घिसाव कम होता है।
  7. इसकी संरचना सरल तथा मजबूत होती है, जबकि इसके संयोजन के लिए अतिरिक्त सामग्री की आवश्यकता नहीं होती है।
  8. इसका संरचना क्षेत्र कम होने के कारण, इसे कम स्थान पर भी लगाया जा सकता है।
  9. इसकी संरचना वायुमंडलीय प्रभाव से मुक्त होती है।
  10. इसकी गति परास अधिक होती है, अतः इसे उपनगरीय, नगरीय एवं मुख्य लाइन सेवाओं में भी प्रयोग किया जा सकता है।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि पेन्टोग्रापफ संग्राहक इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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