दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि रिले का वर्गीकरण के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
रिले का वर्गीकरण (Classification of Relay)
रिले का वर्गीकरण तीन आधारों पर किया जाता है-
- संरचना के आधार पर (According to Construction)
- उपयोगिता के आधार पर (According to Use)
- प्रचालन समय के आधार पर (According to Operating Time)
संरचना के आधार पर
संरचना के आधार पर रिले के निम्न प्रकार होते हैं-
(i) परिनलिका रूपी रिले (Solenoid Type Relay)- यह एक परिनलिका के रूप में होती है तथा इसमें प्लंजर को परिनलिका के चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित किया जाता है। अधिक धारा प्रवाह होने पर रिले प्रचालित होता है।
(ii) चलित आयरन रूपी रिले (Moving Iron Type Relay) – इनमें लोहे के आर्मेचर को विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित किया जाता है। विद्युत चुम्बक में निश्चित धारा से अधिक धारा प्रवाहित होने पर यह रिले आरम्भ होता है।
(iii) विद्युत गतिक प्रारूपी रिले (Electro-Dynamic Relay) – इसमें धारावाही कुण्डली विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील होती है।।
(iv) प्रेरणरूपी रिले (Induction Type Relay)- इसमें मंवर धाराओं द्वारा धातु की डिस्क में घूर्णन बलाघूर्ण (rotating torque) उत्पन्न होता है।
(v) स्थैतिक रिले (Static Relay)- इसमें गतिमान भाग नहीं होता है।
(vi) व्यवकलीय रिले (Differential Relay)- यह रिले तब प्रचालित होता है जब वोल्टता, धारा या शक्ति आदि का अन्तर दो विद्युत परिपथों में होता है।
(vii) तापीय रूपी रिले (Thermal Type Relay)- ये ताप बढ़ने पर प्रचालित होते हैं।
उपयोगिता के आधार पर
उपयोगिता के आधार पर रिले के निम्न प्रकार होते हैं-
(i) वोल्टता रिले (Voltage Relay)- इसमें अभिलक्षण राशि को परिपथ की वोल्टता के संयोजन बिन्दु पर निर्धारित करते हैं।
(ii) अतिवोल्टता रिले (Over Voltage Relay)- ये निर्धारित वोल्टता से अधिक वोल्टता होने पर काम करते हैं।
(iii) मन्द वोल्टता रिले (Under Voltage Relay) – यह रिले निर्धारित वोल्टता से कम वोल्टता पर कार्य करता है।
(iv) धारा रिले (Current Relay) – इसमें अभिलक्षण राशि को परिपथ धारा के संयोजन बिन्दु पर निर्धारित करते हैं।
(v) अतिधारा रिले (Over Current Relay) – यह निर्धारित धारा से अधिक धारा होने पर कार्य करता है।
(vi) मन्द धारा रिले (Under Current Relay) – ये रिले निर्धारित धारा से कम धारा पर कार्य करते हैं।
(vii) विद्युत शक्ति रिले (Electro Power Relay) – इसमें अभिलक्षण राशि संयोजन बिन्दु पर बनने वाली सक्रिय शक्ति (active power) अथवा प्रतिघाती शक्ति (reactive power) के कारण होती है।
(viii) आवृत्ति रिले (Frequency Relay) – इसमें प्रचालन समय के आधार पर बिन्दु पर अभिलक्षण राशि देती है।
प्रचालन समय के आधार पर
प्रचालन समय के आधार पर रिले के निम्न प्रकार होते हैं-
(i) निश्चित समय पश्ची रिले (Definite Time Lag Relay) – ये रिले कुछ निश्चित समय के बाद आरम्भ होते हैं। ये समय रिले टाइम सेटिंग के आधार पर निर्धारित होते हैं।
(ii) तात्क्षणिक रिले (Instantaneous Relay) – ये बहुत कम समय के प्रदोष आते ही आरम्भ हो जाते हैं। कास्क
(iii) प्रतिलोम समय रिले (Inverse Time Log Relay) – इनका प्रचालन समय, विद्युत राशि के परिणाम के प्रतिलोमानुपाती होता है।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि रिले का वर्गीकरण इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो