प्रेरण रूपी अदिशिक अतिधारा रिले की संरचना एवं कार्यप्रणाली का सचित्र वर्णन कीजिए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि प्रेरण रूपी अदिशात्मक अतिधारा रिले के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

प्रेरण रूपी अदिशात्मक अतिधारा रिले की संरचना एवं कार्यप्रणाली

इस रिले को अर्थलीकेज इन्डक्शन टाईप रिले भी कहा जाता है। आवेरकरंट रिले उस समय परिचालन या ऑपरेट होता है जब सर्किट में करंट एक निश्चित प्रीसेट वेल्यू से अधिक हो जाता हो। इन्डक्शन टाईप नानडायरेक्शनल ओवरकरन्ट रिले का निर्माण वॉटहावर मीटर के समान ही कुछ संशोधनों के साथ किया जा सकता है।

चित्र में नॉन डायरेक्शनल इन्डक्शन टाइप ओवर करंट रिले के निर्माण ब्यौरे को दर्शाया गया है।

यह दो विद्युतीय चुम्बक से बनता है। इसका उपरी सिरा अंग्रेजी के अक्षर ‘E’ आकार का होता है जबकि निचला सिरा अग्रेंजी अक्षर ‘U’ के आकार का होता है। दो चुम्बक के मध्य एल्यूमिनियम डिस्क फ्री घुमती है। डिस्क का स्पीन्डल मूव्हिंग कान्टेक्ट्स को ले जाता है। और जब डिस्क घुमती है तब मूव्हिंग कान्टेक्ट्स फिक्स कान्टेक्ट्स के संपर्क में आते हैं जो कि एक ट्रीप सर्किट के टर्मीनल्स होते हैं।

ऊपरी चुम्बक में दो वाइंडिंग्स-प्राइमरी व सेकेन्डरी होती हैं। प्राइमरी वाइंडिंग्स, लाईन के सी.टी. के सेकन्डरी से जुड़ी होती है जिसे सुरक्षित किया जाना होता है इस वाइंडिंग्स को अंतराल पर टेप किया जाता है। इस टेपिंग को प्लग सेटिंग ब्रिज से जोड़ा या कनेक्ट किया जाता है।

इस ब्रिज की सहायता से प्राइमरी वाइंडिंग के टर्नस् की संख्या को एडजस्ट किया जाता है। इस प्रकार रिले के लिए आवश्यक करन्ट सेंटिग को प्राप्त किया जाता है। सामान्यतः टेपिंग के 7 सेक्शन होते हैं जो 25 प्रतिशत के चरण में 50 प्रतिशत से 200 प्रतिशत की ओवरकरंट रेंज में होते हैं। ये वेल्यूज रिले की करंट रेटिंग के प्रतिशत होते हैं। इस प्रकार एक रिले करंट रेटिंग 10A होगी अर्थात् यह 10A की सेकन्डरी करंट रेटिंग के साथ सी.टी. से कनेक्ट होगी। परन्तु रिले की 50 प्रतिशत सेटिंग 5A पर ही ऑपरेशन को स्टार्ट किया जा सकेगा। इसलिए करन्ट सेटिंग के एडजस्टमेंट के लिए ब्रिज साकेट के स्प्रिंग लोड जों के बीच एक पिन को लगाया जाता है इसके लिए एक उचित टेप वेल्यू की आवश्यकता होगी। जब एक पिन को सेटिंग में परिवर्तन के लिए हटाया जाए, जबकि रिले कार्य कर रहा हो तब रिले स्वतः ही उच्च करंट सेटिंग को अपना लेगा। इस प्रकार सी.टी. का सेकन्डरी ओपन सर्किट नहीं होगा। इस प्रकार रिले उस समय भी परिचालन करता रहेगा जब सेटिंग की प्रक्रिया में बदलाव करने के दौरान फाल्ट उत्पन्न हो रहा हो।

ऊपरी चुम्बक के सेन्ट्रल लिम्ब पर सेकेन्डरी वाइंडिंग निचले चुम्बक पर वाइंडिंग के साथ सीरिज से जुड़ी होती है। यह वाइंडिंग प्राइमरी से इन्डक्शन के द्वारा ऊर्जा प्राप्त करती है। सेकन्डरी वाइंडिंग की व्यवस्था के द्वारा उपरी व निचले चुम्बक के लीकेज फ्लेक्सेस उस स्पेस या स्थान और समय में पर्याप्त रूप से प्रतिस्थापित होगें जिससे एल्यूमिनियम डिस्क पर घूर्णन टार्क उत्पन्न हुआ है। स्पाईरल स्प्रिंग के द्वारा कन्ट्रोल टार्क प्राप्त किया जाता है।

करंट उसके प्रीसेट वेल्यू से अधिक होने पर स्पीन्डल पर मूव्हिंग कान्टेक्ट्स व डिस्क घूर्णन करती है ताकि ट्रिप सर्किट टर्मीनल्स के साथ कनेक्शन हो सके। डिस्क के घूर्णन करने का एंगल 0 से 360 डिग्री के बीच होता है। मूव्हिंग कान्टेक्ट्स के ट्रेवल को डिस्क के घूर्णन के कोण को एडजस्ट कर समायोजित किया जाता है। इससे रिले, वांछित टाईम सेटिंग को बतलाता है जिसे एक टाईम सेटिंग डायल पर पाईटर से इंगित किया जाता है। डायल का व्यास 0 से 1 के बीच होता है। यह डायरेक्ट ऑपरेटिंग टाईम नहीं होता है परन्तु यह मल्टीप्लायर या गुणन देता है जिसका प्रयोग रिले के वास्तविक ऑपरेटिंग टाईम को प्राप्त करने के लिए टाईम प्लग सेटिंग मल्टीप्लायर के साथ प्रयोग में लाया जाता है। टाईम प्लग सेटिंग मल्टीप्लायर कर्व को उत्पादक द्वारा उपलब्ध कराया जाता है।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि प्रेरण रूपी अदिशात्मक अतिधारा रिले इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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