दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि डीजल-विद्युत संकर्षण प्रणाली तथा उपनगरीय रेल सेवा के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
डीजल विद्युत ड्राइव संकर्षण प्रणाली का अभिलक्षण
- विद्युत रेलवे की अपेक्षा प्रारंम्भिक लागत कम होती है क्योंकि इसमें विद्युत उपकेन्द्रों, वितरण लाइनों एवं फीडरों आदि की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
- इसमें उच्च त्वरण एवं ब्रेकिंग मंदन होता है अतः इसकी निर्धारित गति (scheduled speed) वाष्प चलन की अपेक्षा अधिक होती है।
- इस संकर्षण व्यवस्था में अरोपित बलाघूर्ण (exerted torque) वाष्प इंजन की अपेक्षा अधिक होता है इसलिए इसमें अधिक बोगियां (accommodation) लगाई जा सकती हैं।
- इसमें अनुरक्षण एवं मरम्मत में वाष्प चलन की अपेक्षा कम समय लगता है।
- वाष्प चलन वाष्पन में समय लगने के कारण तत्काल सेवा में नहीं ला सकते परन्तु डीजल विद्युत चलन में यह समस्या न होने के कारण यह सेवा में आने में समय नहीं लेता है।
- इसकी दक्षता 25% है जो वाष्प चलन से अधिक है।
- इसमें गति नियन्त्रण के समय किसी प्रकार की शक्ति हानि नहीं होती है।
उपनगरीय रेलवे सेवा (Suburban Railway Service)
आवश्यकताएं
उपनगरीय लाइन रेलवे सेवा के लिए आवश्यकताएं निम्न प्रकार हैं-
(a) उपनगरीय लाइन रेलवे सेवा में अधिक त्वरण तथा तेज मंदन होना चाहिए क्योंकि इन लाइनों पर कम अन्तराल पर काफी अधिक स्टेशन होते हैं।
(b) रेलवे इंजन में उपयुक्त मोटर के प्रचालन पर प्रदाय वोल्टता में घटाव-बढ़ाव का प्रभाव नहीं होता है।
(c) उपनगरीय लाइन रेलवे सेवा में उपयोग की जाने वाली सप्लाई प्रणाली के कारण टेलीफोन तथा टेलीग्राफ लाइनों में बाधाएं उत्पन्न नहीं होनी चाहिए।
लाभ
उपरोक्त आवश्यकताएं दिष्ट धारा प्रणाली द्वारा पूरी हो जाती है तथा इसी कारण उपनगरीय सेवाओं में दिष्ट धारा प्रणाली प्रयोग की जाती है। दिष्ट धारा प्रणाली के कुछ अतिरिक्त लाभ भी हैं जो कि निम्न प्रकार हैं-
(a) समान परिस्थिति में (AC) प्रत्यावर्ती प्रणाली की अपेक्षा दिष्ट धारा (AC) प्रणाली में ऊर्जा व्यय कम होता है।
(b) प्रत्यावर्ती धारा प्रणाली की अपेक्षा दिष्ट धारा (DC) प्रणाली में प्रयोग होने वाले इंजन, मोटर को चलाने इत्यादि में प्रयोग होने वाले उपकरण हल्के तथा नागत में सस्ते होते हैं। यह अधिक दक्ष होते हैं तथा इनके रख-रखाव में अपेक्षाकृत कम लागत आती है।
दोष
दिष्ट धारा प्रणाली के अतिरिक्त दोष निम्न प्रकार हैं-
(a) दिष्ट धारा प्रणाली में वितरण निम्न वोल्टेज पर होता है, जिसके कारण समान शक्ति वितरण के लिए उच्च धारा की जरूरत होती है, जिससे चालक का आकार बढ़ जाता है जिसके फलस्वरूप वितरण प्रणाली का भार बढ़ जाना है तथा लागत का मान् बढ़ जाता है।
(b) इसके साथ कम वो पर वितरण करने पर उपकेन्द्र पास-पास लगाने पड़ते हैं तथा इस प्रकार उपकेन्द्रों की संख्या बढ़ जाती है जिसके फलस्वरूप लागत बहुत ज्यादा हो जाती है।
(c) दिष्ट धारा उपकेन्द्रों की दक्षता का मान कम होता है।
(d) वापसी पटरी पथ में वोल्टता को सीमा में स्थिर रखने के लिए DC उपकेन्द्रों में ऋणात्मक बूस्टर तथा अन्य उपकरण लगाने की जरूरत पड़ती है, जिससे लागत का मान बढ़ जाता है।
-उपरोक्त दोषों को सम्मिश्र प्रणाली के समान एककलीय कला प्रत्यावर्ती धारा से दिष्ट धारा किया जा सकता है, जिससे प्रणाली में सुधार हो सके।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि डीजल-विद्युत संकर्षण प्रणाली तथा उपनगरीय रेल सेवा इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो