दोष के स्त्रोत पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि दोष के स्त्रोत के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

शक्ति तंत्र में दोषों के विभिन्न स्त्रोतों या प्रकारों का विवरण निम्न प्रकार हैं-

स्थाई प्रदोष (Stable Fault)

ऐसा प्रदोष जो वैद्युत शक्ति प्रणाली में लम्बे समय तक रहता है तथा उसे हटाना पड़ता है, ऐसे प्रदोष को स्थाई प्रदोष कहते हैं। स्थाई प्रदोषों को दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है-

असममित वैद्युत प्रदोष

ऐसे प्रदोष जिसमें वैद्युत शक्ति प्रणाली के सभी तारों में धारा का मान अलग-अलग हो जाता है, उसे असममित वैद्युत प्रदोष कहते हैं। इनमें निम्न प्रदोष आते हैं-

(a) एकल कला भू-दोष (Single phase earth fault)

(b) एकल कला खुला पथ दोष (Single phase open circuit fault)

(c) द्विकला भू-दोष (Two phase earth fault)

(d) द्विकला खुला पथ दोष (Two phase open circuit fault)

(e) द्विकला लघु पथ दोष (Two phase short circuit fault)

(f) त्रिकला असंतुलित अतिभार दोष (Three phase unbalance overload fault)

सममित वैद्युत प्रदोष

ऐसे प्रदोष जिस के कारण सभी तारों में धारा का मान एक जैसा रहता है, उसे सममित विद्युत प्रदोष कहते हैं।

इसमें निम्न प्रदोष आते हैं-

(a) त्रिकला लघु पथ प्रदोष (3-phase short circuit fault)

(b) त्रिकला खुला पथ प्रदोष (3-phase open circuit fault)

(c) त्रिकला भू-दोष (3-phase earth fault)

(d) त्रिकला कोरोना क्षरण प्रदोष (3-phase corona leakage fault)

(e) त्रिकला अतिभार प्रदोष (3-phase overload fault)

अस्थाई प्रदोष (Unstable Fault)

ऐसा प्रदोष जो कुछ समय तक रहता है एवं कुछ समय पश्चात् अपने आप ही हट जाता है, ऐसे प्रदोष को अस्थाई प्रदोष कहते हैं। जैसे कि आंधी के समय हवा के कारण तार परस्पर टकराते हैं तथा बाद में स्वतः ही अलग हो जाते हैं।

प्रदोष के स्त्रोत (Sources of Faults)

जब किसी वैद्युत शक्ति प्रणाली में वैद्युत प्रदोष आता है तो उसकी चर राशियों जैसे-विद्युत दाब, धारा प्रवाह आदि में अनियमितता आ जाती है जिससे वैद्युत प्रदोष होने का पता चलता है। वैद्युत प्रदोष आने के कई कारण होते हैं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

यांत्रिक क्षति (Mechanical Injury)

वैद्युत संचरण तारों में यह प्रदोष तेज चलने वाली आंधियों, वृक्षों या दीवारों के तारों पर गिरने से उनमें होने वालीं क्षति के कारण होता है। यह संवाहक (conductor) के टूटने या विसंवाहक (insulator) के कार्य नहीं करने से भी हो सकता है। यही कारण है कि परिपथ जल सकते हैं। इस प्रकार बाह्य चोटों के कारण वैद्युत उपकरणों में क्षति होती है तथा उपकरण की लघुपरिपथ धारा में असामान्य रूप से परिवर्तन आते हैं जिन्हें रोकने के लिए रिले, सर्किट ब्रेकर, फ्यूज आदि के सही चयन आवश्यक हैं।

विसंवाहक में खराबी (Failure of Insulator)

इस प्रकार के दोष विसंवाहक में खराबी के कारण या विसंवाहक (insulator) टूटने के कारण अधिवोल्टता (overvoltage) का प्रभाव होता है तथा परिपथों के विद्युत दाब (voltage) का प्रवाह अनियमित हो जाता है एवं परिपथों के जलने की सम्भावना बढ़ जाती है। ये गर्मी में परिपथों के अधिक गर्म एवं सर्दी में तारों के खिंचाव के कारण हो सकता है।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि दोष के स्त्रोत इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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