दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि बुकोल्ज रिले के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
बुकोल्ज रिले (Buchholz Relay)
बुकोल्ज रिले को अन्य नाम से भी जाना जाता है-
- Pre-fault रिले
- Gas actuated रिले
500 KVA से अधिक रेटिंग वाले ट्रांसफॉर्मर की सुरक्षा के लिए यह रिले काम आती है। यह एक गैस (gas) के द्वारा शुरू होने वाली रिले है जो कि तेल डुबकी (Oil immersed) परिणामित्रों में लगाई जाती है। यह परिणामित्र को हर प्रकार के प्रदोष से सुरक्षित रखती है। यदि परिणामित्र में कोई incipient fault आ जाता है तो यह रिले घण्टी (Alarm) के द्वारा सूचित करता है या कोई गम्भीर आन्तरिक दोष (Severe internal fault) आ जाता है तो परिणामित्र को मुख्य धारा से पृथक् कर देता है। यह रिले परिणामित्र के मुख्य टैंक (Tank) तथा conservator के मध्य में लगाई जाती है।
संरचना (Construction)
चित्र में बुकोल्ज रिले की बनावट दिखाई गई है। यह एक DOME VESSEL की तरह दिखता है जो कि मुख्य टैंक तथा conservator को जोड़ने वाली पाइप के मध्य लगाई जाती है।
इस प्रकार की रिले के दो भाग होते हैं-
ऊपरी भाग (Upper Element)
इसमें एक बुकोल्ज मर्करी के प्रकार का स्विच (Mercury type switch) लगा होता है जो हिन्ज प्रकार के फ्लेप (Hinged type flap) पर जुड़ा होता है, जो परिणामित्र से तेल संग्राहक (Oil conservator) में बह रहा होता है उसके मार्ग में लगा होता है। यह भाग, जब परिणामित्र में इनसिपिएन्ट प्रदोष (Incipient fault) आता है तो अलार्म परिपथ (Alarm circuit) को बन्द कर देता है।
निचला भाग (Lower Element)
जब परिणामित्र में गंभीर (Severe) आन्तरिक प्रदोष (Internal fault) आता है तब यह परिपथ वियोजक (Circuit breaker) को ट्रिप (Trip) कर देता है।
कार्यप्रणाली (Working)
इस प्रकार प्रदोष के कारण जो गर्मी या आर्क (ARC) उत्पन्न होता है उसमें से परिणामित्र तेल (Oil) का विघटन (Decomposition) आरम्भ होने लगता है। यह विघटन (Decomposition) लगभग 350°C पर आरम्भ होता है। विघटन होने से जो उत्पाद (Product) बनता है उसमें 70% से भी ज्यादा हाइड्रोजन गैस (Hydrogen gas) होती है जो कि हल्की (Light) होने के कारण उठने लगती है तथा यह हाइड्रोजन गैस संग्राहक (Conservator) में जाने की कोशिश करती है और रिले के ऊपरी भाग (Chamber) में फंस जाती है जिसके कारण ये गैस ब्कहोल्ज रिले में गिरने लगता है। जैसे-जैसे तेल का स्तर गिरने लगता है वैसे-वैसे फ्लोट (Float) जो कि रिले के तेल. पर तैर रहा होता है नीचे की ओर गिरने/मुड़ने लगता है। ऐसा होने पर फ्लोट (float) जिसमें मर्करी स्विच (Mercury switch) लगा होता है वह बंद हो जाता है तथा यह अलार्म परिपथ को बन्द कर देता है।
जब परिणामित्र में गंभीर लघुपथित प्रदोष आता है तब टैंक का दबाव बढ़ने लगता है और यह दबाव गैस संग्राहक (Conservator) की ओर बढ़ता है। जब गैस संग्राहक (Oil conservator) की ओर बढ़ता है तब यह ब्कहोल्ज रिले से गुजरता है जिससे ब्कहोल्ज रिले पर लगी पत्तियां (Plates) गैस के दबाव से दबने लगती हैं तथा परिणामस्वरूप दूसरा स्विच बन्द हो जाता है तथा वह परिपथ वियोजक (Circuit breaker) को ट्रिप कर देता है। इसके बाद परिणामित्र को काम में नहीं लिया जाता है।

आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि बुकोल्ज रिले इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो