भाप,डीजल एवं विद्युत संकर्षण की तुलना कीजिये?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि भाप,डीजल एवं विद्युत संकर्षण की तुलना  के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

वाष्प इंजन ड्राईव

बॉयलर द्वारा वाष्प उत्पन्न कर वाष्प इंजन को दी जाती है जो ऊष्मा (heat) ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह सर्वाधिक उपयोग में आने वाला ड्राईव था लेकिन धीरे-धीरे इसका उपयोग कम होने लगा है क्योंकि अब डीजल व विद्युत इंजनों का प्रयोग बढ़ने लगा है।

वाष्प इंजन ड्राईव के लाभ

  • अभिकल्पन की सरलता (Simplicity of design)
  • प्रचालकीय निर्भरता (Operation dependability)
  • सरल अनुरक्षण (Simplified maintenance)
  • सरल गति नियन्त्रण (Simple Speed control)
  • अच्छे बॉयलर (boiler) अभिकल्पन के साथ इसमें अधिभार (overload) क्षमता भी अच्छी है।
  • यह एक स्वधारित (self contained) इकाई है अतः एक ही पथ (track) पर सीमित नहीं है सभी प्रकार के पथ के लिए उपयोगी है।
  • किसी भी दूरसंचार लाइन में बाधा उत्पन्न नहीं करता है।
  • पथ विद्युतीकरण (track electrification) आवश्यकता न होने के कारण प्रारम्भिक लागत कम है।

वाष्प इंजन ड्राईव की कमियां

  • निम्न ऊष्मीय दक्षता (low thermal efficiency)
  • बॉयलर प्रचालन के लिए मृदुल जल की आवश्यकता होती है।
  • लोकामोटिव में तीव्र गति सीमा (speed range) एवं सीमित उपलब्धता (limited availability) उसके साथ चलने वाले पानी एवं कोयले की मात्रा से प्रभावित होता है। साथ ही समय-समय पर कोयले के राख की सफाई भी करनी पड़ती है। मानक यात्री लोकोमोटिव (standard passenger locomotive) के लिए तीव्र गति सीमा 160 किमी होती है।
  • वाष्प लोकोमोटिव को प्रचालन स्थिति में लाने के लिए वाष्पन समय (steaming time) की आवश्यकता पड़ती है अतः इसे तत्काल ही सेवा में नहीं लाया जा सकता है।
  • निम्न आसंजन गुणांक (co-efficient of adhesion) के कारण शक्ति एवं भार का अनुपात वाष्प लोकोमोटिव के लिए कम होता है।
  • वाष्प इंजन के प्रत्यागामी पिण्डों (reciprocating masses) के कारण उत्पन्न असंतुलित बलों के कारण इसकी आसंजन गुणांक 0.25 है, जो विद्युत लोकोमोटिव (0.3 से 0.45) की तुलना में कम होता है। अतः वाष्प इंजित के आसंजन गुणांक को बढ़ाने के लिए उच्च अक्ष भार (axle loads) की आवश्यकता पड़ती है जो रेलवे पुल अभिकल्पन में सीमित (restrict) किया गया है।
  • वाष्प लोकोमोटिव की निष्पादन क्षमता (performance) कोयले के अग्रन दर (firing rate) से अनुशासित होता है।
  • प्रत्यागामी पिण्डों से उत्पन्न असन्तुलित बलों के कारण सवारी गुणवत्ता (riding quality) तो खराब होती ही है साथ ही रेल पथ पर क्षरण एवं फटन (wear & tear) बढ़ जाता है।

डीजल विद्युत संकर्षण

इसमें डीजल इंजन को एक दिष्ट धारा जनित्र (DC Generator) से संयोजित किया जाता है। तथा डीजल इंजन की गति (r.m.p.) स्थिर (constant) रखा जाता है। इस तरह डीजल जनित्र युग्म (diesel generator or D.G set) से उत्पन्न विद्युत ऊर्जा से ट्रेन चलाए जाते हैं।

अभिलक्षण

  1. विद्युत रेलवे की अपेक्षा प्रारंम्भिक लागत कम होती है क्योंकि इसमें विद्युत उपकेन्द्रों, वितरण लाइनों एवं फीडरों आदि की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  2. इसमें उच्च त्वरण एवं ब्रेकिंग मंदन होता है अतः इसका अनुसूचित गति (scheduled speed) वाष्प लोकोमोटिव की अपेक्षा अधिक होता है।
  3. इस संकर्षण व्यवस्था में अरोपित बलाघूर्ण (exerted torque) वाष्प इंजन की अपेक्षा अधिक होता है। इसलिए इसमें अधिक बोगियां (accommodation) लगाए जा सकते हैं।
  4. इसमें अनुरक्षण एवं मरम्मत में समय वाच्य लोकोमोटिव की अपेक्षा कम लगता है।
  5. वाष्प लोकोमोटिव में वाष्पन में समय लगने के कारण तत्काल सेवा में नहीं ला सकते परन्तु डीजल विद्युत लोकोमोटिव में यह समस्या न होने के कारण यह सेवा में आने में समय नहीं लेता है।
  6. इसकी दक्षता 25% है जो वाष्प, लोकोमोटिव से अधिक है।
  7. गति नियन्त्रण के समय कोई भी शक्ति हानि नहीं होती है।

हानियां

  • डीजल इंजन का जीवनकाल कम होता है।
  • सीमित अधिभारण क्षमता होती है।
  • डीजल इंजन और मोटर जनित्र सेट के शीतलन के लिए पृथक से शीतलन प्रणाली की आवश्यकता पड़ती है।
  • चालू लागत एवं अनुरक्षण लागत बहुत अधिक होता है।
  • मोटर-जनित्र सेट एवं अन्य उपसाधनों (accessories) के कारण इंजन का भार अधिक हो जाता है अतः इसे वहन करने के लिए अधिक एक्सल (axles) की आवश्यकता पड़ती है।
  • ईंधन (डीजल) का का मूल्य मूल्य अधिक होता है तथा तीव्रता से मूल्य परिवर्तित होने के कारण देश के अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

विद्युत संकर्षण

इसमें बिद्युत मोटर ड्राइव को शिरोपरि वितरण प्रणाली (overhead distribution system) के प्रदाय (supply) दी जाती है। इसमें दिष्ट धारा श्रेण मोटर या एकल फेजी AC श्रेणी मोटर या 36 प्रेरण मोटरों का उपयोग किया जाता है। विद्युत ऊर्जा को यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित करके उपलब्ध यान्त्रिक ऊर्जा से ट्रेन चलायी जाती है।

विद्युत ड्राईव के लाभ

  • इसमें पानी एवं कोयला संग्रह करने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • इससे वातावरण दूषित (Atomosphere polluted) नहीं होता है।
  • विद्युत संकर्षण प्रणाली साफ सुथरी होती है।
  • इसका अनुरक्षण (Maintenance) सरलता से किया जा सकता है।
  • इसमें त्वरण एवं मन्दन का अधिक (High acceleration and Retardation) मान प्राप्त किया जा सकता है।
  • इनमें प्रारम्भिक बलाघूर्ण का मान अधिक होता है।
  • अन्य आरोधनों (Braking) से विद्युत आरोधन श्रेष्ठ होता है।
  • विद्युत रेल गाड़ी को थोड़े से समय में प्रचालित (Operate) किया जाता है।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि भाप,डीजल एवं विद्युत संकर्षण की तुलना  इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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