दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि अधि-वोल्टता के कारण के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
अधि-वोल्टता के कारण
इसके मुख्यतः निम्न कारण हैं-
बाह्य अधिवोल्टता (External overvoltage)
बाह्य अधिवोल्टता वातावरणीय गड़बड़ियों (Atmospheric disturbances) के कारण आते हैं, जिसमें मुख्य हैं तड़ित आघात (Lightning)। ये एकदिशीय (Unidirectional) तरंगों के रूप में आते हैं जिनके अधिकतम आयाम (Amplitude) के परिपथ की प्रचालन वोल्टता (Operating Voltage) से कोई सम्बन्ध नहीं होता है। इनके निम्न कारण हो सकते हैं-
(i) सीधे तड़ित आघात के कारण (Because of direct lightning stroke)
(ii) लाइन के पास तड़ित डिस्चार्ज (Lightning discharge) हो जाता है जो कि विद्युत चुम्बकीय इंड्यूस्ड (Electromagnetically Induced) अधिवोल्टता उत्पन्न करता है।
(iii) लाइन की लम्बाई के सापेक्ष वातावरण की परिस्थितियां बदलने के कारण अधिवोल्टता आती है।
(iv) चार्ज बादलों के कारण विद्युत स्थैतिक अधिवोल्टता आती है।
(v) छोटे कणों के घर्षण के परिणामस्वरूप जैसे कि धूल या बर्फ के कण जो वातावरण में होते हैं, ये विद्युत चुम्बकीय अधिवोल्टता लाते हैं।
आन्तरिक अधिवोल्टता (Internal overvoltage)
आंतरिक अधिवोल्टता तंत्र की प्रचालन परिस्थितियों (Operating conditions) के बदलने पर उत्पन्न होती हैं। इन्हें दो प्रकारों में विभाजित किया गया है।
स्विचिंग अधिवोल्टता या उच्च आवृत्ति की क्षणिक अधिवोल्टता
यह अधिवोल्टता क्षणिकाओं के सिद्धान्त (Transient phenomenon) के कारण उत्पन्न होती है। जब प्रदोष के समय तंत्र स्विच करता है तो यह उत्पन्न होती है। यह अधिवोल्टता दोलन (Oscillation) बनाती है तथा एक साइन (Sine) तरंग के रूप में होती है। इनकी आवृत्ति 100 Hz से 1000 Hz तक हो सकती हैं। यह कैपेसिटेंस (Capacitance) तथा इंडक्टेन्स (Inductance) से निर्धारित होती है।
एक उच्च वोल्टता प्रतिघातक (Reactors) तथा परिणामित्रों की स्विचिंग बिना भार पर होती है तो क्षणिक प्रकार की अधिवोल्टता आती है। यदि किसी कला पर प्रदोष आता है तो शेष दोनों सही कलाओं के भू के संदर्भमें वोल्टता सामान्य वोल्टता से अधिक हो जाती है जब तक प्रदोष समाप्त नहीं हो जाता है। जब परिपथ वियोजक के सम्पर्क प्रदोष को समाप्त करने के लिए खुलते हैं तब धारा के विलुप्त होने के बाद रिस्ट्राइकिंग वोल्टता (Restriking Voltage) सम्पर्कों के विपरीत आता है और उसकी आवृत्ति प्रणाली वोल्टता की दुगुनी होती है।
अस्थायी वोल्टता (Temporary Voltage)
यह अधिवोल्टता शक्तिप्रणाली आवृत्ति की स्थिर स्टेट वोल्टता होती है जिसके कारण भार का सम्पर्क लम्बी प्रसारण लाइनों में टूट जाता है। क्षणकालिक अधिवोल्टता जो कि शक्तिप्रणाली में आती है, का मान निकालने के लिए अतिवोल्टता कारक काम में लिया जाता है। अतिवोल्टता कारक (Factor) अधिकतम (Peak) अतिवोल्टता तथा निर्धारित अधिकतम प्रणाली आवृत्ति कला वोल्टता (Rated peak system frequency phase voltage) का अनुपात है।
इस अनुपात को आवृत्ति कारक (Amplitude factor) भी कहा जाता है। अधिवोल्टता का अवलोकन (Examination) उनके परिमाण (Magnitude). आकार (Shapes), अवधि (Duration) एवं आवृत्ति (Frequency) के अध्ययन पर आधारित होता है। अधिवोल्टता का अध्ययन तंत्र के सभी बिन्दुओं पर किया जाता है जहां तरंगें (waves) आती हैं चाहे वह अधिवोल्टता की शुरूआत हो अथवा पूरी प्रसारण लाइन हो। परिपथों के पूर्ण रक्षण के लिए अधिवोल्टता के कारण एवं प्रभाव का ध्यान रखना पड़ता है।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि अधि-वोल्टता के कारण इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो