रिंग मेन पद्धति के लिए क्रमिक काल पश्चात् अधिभार रक्षण विधि का वर्णन कीजिए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि समय ग्रेडेड दिशिक अधिधारा प्रतिरक्षण पद्धति के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

समय ग्रेडेड दिशिक अधिधारा प्रतिरक्षण पद्धति

इस रक्षण प्रणाली का प्रयोग अधिधारा रक्षण के लिए किया जाता है। इसके अन्तर्गत रिले की सेटिंग इस प्रकार की जाती है कि दोष (fault) आने पर लाइन का सबसे छोटा हिस्सा (Smallest part of the line) पृथक किया जा सके। यह रक्षण प्रणाली रेडियल फीडर, समानान्तरण फीडर तथा रिंग मेन फीडर के रक्षण हेतु प्रयुक्त की जाती है।

रेडियल फीडर संरक्षा

इस संरक्षा तंत्र में यह मुख्य बात होती है कि सप्लाई तंत्र के दोष के कारण कम से कम भाग प्रभावित हो। इस उद्देश्य के लिए रेडियल फीडर तंत्र में ट्रिप क्वॉयल के साथ शंट फ्यूज या इनवर्स टाइम रिले प्रयुक्त की जाती है। चित्र 1 में समय ग्रेडेड संरक्षा तंत्र दर्शाया गया है-

चित्रानुसार F बिन्दु पर फॉल्ट उत्पन्न होता है तो चूंकि जनरेटिंग स्टेशन, सबस्टेशन SS1 SS2 SS3 SS4 श्रेणी से जुड़े होते है। जब सबस्टेशन SS4 के पास फॉल्ट प्राप्त होता है तो रिले OC5 सबसे पहले ओपरेट होनी चाहिए। रिले OC5का ओपरेशन समय, रिले OS4 से कम होना चाहिए। अतः रिले OC1 OC2 OC3 OC4 तथा OC5 के लिए समय सेटिंग 2.0 सेकण्ड, 1.5 सेकण्ड, 1.0 सेकण्ड तथा 0.5 सेकण्ड होनी चाहिए।

यदि ट्रिप क्वॉयल की गलन धारा इस प्रकार है कि जनरेटिंग स्टेशन के पास वाली ट्रिप क्वॉयल के फ्यूज की क्षमता होने पर फॉल्ट बिन्दु से ठीक पहले वाली ट्रिप क्वॉयल का फ्यूज उड़ जाता है। यह फ्यूज उड़ जाने पर धारा परिणामित्र की द्वितीयक में प्रवाहित होने वाली कुल धारा, रिले की ट्रिप क्वॉयल में प्रवाहित होने लगेगी जिससे रिले परिपथ वियोजक को खुला करके दोष बिन्दु के बाद की सप्लाई को विच्छेदित कर देता है।

समान्तर फीडर संरक्षा

चित्र 2 में समान्तर फीडर (Feeder) के लिये टाईम ग्रेडेड रक्षण प्रणाली प्रदर्शित की गई है।

चित्र 2 में रिले C तथा D समय ग्रेडेड दिशिक रिले (time graded directional relay) है। चित्रानुसार जब फीडर II में बिन्दु F पर प्रदोष (fault) उत्पन्न होता है तो फॉल्ट बिन्दु पर प्रेषित व प्राप्ति बस बार से शक्ति प्रवाह होता है। रिले D में शक्ति प्रवाह विपरीत होगा जिसमें यह रिले प्रचालित होगी तथा अब सम्पूर्ण शक्ति रिले B से प्रवाहित होगी जिससे यह प्रचालित होकर फीडर को पूर्ण रूप से विलगित कर देगी।

यह विधि सन्तोषजनक नहीं होगी यदि heavy fault आता है और D में शक्ति विपरीत प्रवाहित होती है। इसलिए अधिधारा रक्षण के साथ अवकल रक्षण भी प्रयुक्त किया जाना. चाहिए।

रिंग मेन फीडर संरक्षा

इस में जनन केन्द्र तथा A,B,C,D उपकेन्द्र हैं। जनन केन्द्र से पॉवर केवल एक दिशा में प्रवाहित होती है। इसलिए जनित्र के पास अदिशिक टाईम ग्रेडेड रिले (non-directional time graded relay) प्रयुक्त की जाती है। उपकेन्द्रों के दोनों सिरों पर दिशिक टाईम ग्रेडेड रिले (directional time graded relay) प्रयुक्त की जाती है। ये इस प्रकार सेट की जाती है कि ये रिले सब स्टेशन से पॉवर प्रवाहित होने पर ही प्रचालित हो। चित्रानुसार फॉल्ट आने पर उपकेन्द्र B तथा उपकेन्द्र C के मध्य लगी रिले ही प्रचालित होगी जिससे फॉल्टी सेक्शन पृथक् हो जाएगा।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि समय ग्रेडेड दिशिक अधिधारा प्रतिरक्षण पद्धति इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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