फीडरों के रक्षण हेतु ट्रांसले रक्षण पद्धति का वर्णन कीजिए?

दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि ट्रांसले रक्षण पद्धति के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |

ट्रांसले रक्षण पद्धति

यह मर्ज प्राइस विभव तंत्र का ही विकसित रूप है और इसका कार्य सिद्धांत यह है कि किसी क्षण एक सिरे पर प्रवेश करने वाली धारा दूसरे सिरे पर निकलने बाली धारा के समान होती है। यह तेत्र भू-दोष तथा कला दोष दोनों की-संरक्षा के लिए प्रयुक्त होता है और यह एक कलीय, त्रिकलीय फीडर, T/F फीडर, Tee-off फीडर तथा समानान्तर फीडर के लिए प्रयोग की जा सकती है।

फीडर की सरक्षा के लिए साधारण ट्रांसले सरक्षा तंत्र चित्र 1 में दर्शाया गया है। जब फीडर फॉल्ट रहित होता है तो लाइन के दोनों सिरों पर लगे CTs, 1 व 1′ की द्वितीयक में समान धारा प्रवाहित होती है और उनसे संपर्कित वाइन्डिंग 2 तथा 2′ में समान emf प्रेरित होता है।

Coils 2 व 2′ क्रमशः 4 व 4′ के श्रेणी में परंतु परस्पर पायलट तार द्वारा विपरीत रूप से कनेक्ट होती है। दोष उत्पन्न होने पर एक सिरे पर लगे CT में प्रेरित emf दूसरे सिरे पर लगे धारा परिणामित्र की अपेक्षा अधिक होगा जिससे कुछ धारा प्रचालन coil 4 व 4′ तथा पायलट तार में प्रवाहित होगी और जब यह घूर्णन धारा निश्चित मान से बढ़ती है तो रिले, ट्रिपिंग परिपथ को बंद करके फीडर को सप्लाई से असंपर्कित कर देती है।

एक ट्रांसले रिले 36 फीडर के लिए प्रयोग करके दर्शाई गई है। इसमें ऊपरी चुम्बकीय परिपथ में तीन बाइन्डिंग है। जिसमें दो प्राथमिक व एक द्वितीयक होती है। ऊपरी छोटी प्राथमिक वाइन्डिंग फेज फॉल्ट वाइन्डिंग होती है और इसे R व Bधारा परिणामित्र से जोड़ा जाता है। इसी वाइन्डिंग के मध्य बिन्दु को y फेज के धारा परिणामित्र से जोड़ा जाता है। नीचे वाली बड़ी प्राथमिक वाइन्डिंग, लीकेज वाइन्डिंग की तरह कार्य करती है और इसे B फेज के धारा परिणामित्र व CTs के उदासीन बिन्दु से जोड़ा जाता है। ऊपरी चुम्बक पर लगी द्वितीयक वाइन्डिंग मर्ज प्राइस तंत्र की – भांति विपरीत विभय T/F की तरह कार्य करती है और दूसरे सिरे पर लगे चुम्बक पर समान वाइन्डिंग के साथ दो पायलट तार के साथ विरोधी रूप = में जुड़ी होती है। नीचे वाले चुम्बक पर लगी वाइन्डिंग पायलट तार के साथ श्रेणी में जुड़ी होती है।

सामान्य स्थितियों में पायलट तार में से कोई धारा प्रवाहित नहीं होती क्योंकि विपरीत विभव समान होते हैं। परंतु फॉल्ट उत्पन्न होने पर वाइन्डिंग में प्रेरित विभव भिन्न हो जाता है जिससे रिले के नीचे के अवयव और पायलट तार में धारा घूमने लगती है और ऊपरी व निचले चुम्बक में उत्पन्न फ्लक्स की अभिक्रियास्वरूप डिस्क पर आघूर्ण लगता है। यह डिस्क आघूर्ण के साथ घूमकर ट्रिप परिपथ को बंद करके परिपथ को तोड़ देती है।

आज आपने क्या सीखा :-

अब आप जान गए होंगे कि ट्रांसले रक्षण पद्धति इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|

उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो

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