दोस्तों आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि विभिन्न प्रकार के शिरोपरि उपकरण के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से इन सब के बारे में जानकारी देने वाला हूं| तो चलिए शुरू करते हैं |
विभिन्न प्रकार के शिरोपरि उपकरण
संकर्षण प्रणाली में शिरोपरि उपकरणों का प्रयोग प्रमुख रूप से शिरोपरि लाइन से धारा संग्रह करने के लिए किया जाता है। ये उपकरण शिरोपरि लाइन के आधार के साथ लगाये जाते हैं। रेलवे में दो अथवा तीन शिरोपरि लाइनों का भी प्रयोग किया जाता है, यह प्रणाली U.K. में प्रयोग की जाती है। 3 फेज AC संकर्षण प्रणाली में तीन शिरोपरि लाइनों का प्रयोग किया जाता है एवं इन लाइनों के साथ शिरोपरि उपकरणों का संस्थापन किया जाता है। सर्वप्रथम शिरोपरि लाइनों के साथ शिरोपरि उपकरणों का प्रयोग वर्ष 1901 से लेकर 1904 के मध्य किया गया था। इसके बाद इन उपकरणों का निरंतर विकास होने के साथ-साथ विद्युत संकर्षण प्रणाली को विकसित किया गया।
शिरोपरि कैटेनरी
हम जानते हैं कि रेलवे की विद्युत संकर्षण प्रणाली में शिरोपरि लाइनों पर फिसलने वाला एक स्लाइडर लगाया जाता है, जिसके द्वारा शिरोपरि लाइन से सप्लाई को लोकोमोटिव तक पहुंचाया जाता है। अतः कैटेनरी में थोड़ा सैग (Sag) रखने की आवश्यकता होती है, जिससे सम्पर्क तार तथा संग्राहक के बीच में सम्पर्क रखते हुए ट्रेन को उच्च गति पर चलाया जा सके।
लघु सैग (Sag) प्राप्त करने के लिए शिरोपरि कैटेनेरी की संरचना प्रयोग की जाती है। इसमें दोनों सिरों पर सपोर्ट दिया जाता है। कैटेनरी संरचना में मोड़ की स्थिति में इसकी परास कम रखी जाती है और तारों में सहीं खिचाव द्वारा इसे उपयुक्त बनाया जाता है।
बहुभुजीय कैटेनरी प्रणाली
इस प्रकार की संरचना को एकल कैटेनरी संरचना भी कहते हैं। इसका प्रयोग 25 kV सिंगल फेज लाइन पर किया जाता है।
इसमें सम्पर्क चालक (Contact wire) को कैटेनरी तार ड्रॉपर (Dropper) के द्वारा सहारा प्रदान किया जाता है। ये ड्रॉपर, सम्पर्क चालक तथा कैटेनरी चालक पर समान अन्तर के द्वारा एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। सीधी दिशा में कैटेनरी तार की लम्बाई 72 मीटर रखी जाती है तथा दो ड्रॉपरों के मध्य की दूरी 9m रहती है। बहुभुजीय कैटेनरी संरचना में झोल (Sag) का मान 1 मीटर से 2 मीटर तक रखा जाता है। रेल मार्ग के घुमाव की स्थिति पर कैटेनरी तार के पाट (Span) दूरी का मान कम होता है। कैटेनरी तारों को सही स्थिति में रखने के लिए तार को खींचना पड़ता है। इसके द्वारा 120 kmph की गति वाली ट्रेनों को चलाया जाता है।
संयुक्त कैटेनरी प्रणाली
इसमें तीन तारों का प्रयोग किया जाता है। इसमें एक मुख्य कैटेनरी, मध्यवर्ती (Intermediate) कैटेनरी तथा सम्पर्क चालक तीनों उपस्थित होते हैं। ये सभी संरचनाए एक ही प्लेन में होती हैं। सम्पर्क चालक तथा मध्यवर्ती तार के मध्य भी आवश्यकता के अनुसार एक या दो तार लगाये जाते हैं। संयुक्त कैटेनरी संरचना में प्रयुक्त मध्यवर्ती तार के द्वारा विद्युत वाहक क्षमता संशोधित Y-सरल कैटेनरी संरचना (Modified Y-Simple Catenary Structure) इसे स्टिच्ड (Stitched) कैटेनरी प्रणाली भी कहते हैं। इस संरचना में अनुपूरक (Supplementary) कैटेनरी का प्रयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत अन्तिम स्तम्भों के मध्य की दूरी 5m से 10m तक रखी जाती है तथा कैटेनरी में स्टिच्ड तार लगाकर लचीलेपन को कम किया जा सकता है। यह धारा की संग्रहण क्षमता (Collection capacity) को बढ़ा देता है। इसे चित्र 3 के द्वारा प्रदर्शित किया गया है। इसकी संरचना Y आकार की हो जाती है, जिससे पेन्टोग्राफ के पेन का सम्पर्क-तार पर अतिरिक्त दबाव उत्पन्न हो जाता है, साथ ही वायु के झोकों के कारण जो तंरग सम्पर्क-तार पर उत्पन्न होती है, उससे दोलनों में वृद्धि हो जाती है। इस कैटेनरी द्वारा 140 kmph की गति से प्रचालित होने वाली ट्रेनों को सम्पर्कन प्रदान करते है।
निरन्तर जाली कैटेनरी संरचना
यह कम्पाउण्ड कैटेनरी प्रणाली का संशोधित रूप होता है। इसकी धारा संग्राहक क्षमता अधिक होती है। निरन्तर जाली कैटेनरी संरचना में प्रमुख लाभ यह होता है कि सम्पर्क तारों में होने वाले अनावश्यक कम्पनों को ड्रॉपरों के साथ मिलकर कम किया जा सकता है।
आज आपने क्या सीखा :-
अब आप जान गए होंगे कि विभिन्न प्रकार के शिरोपरि उपकरण इन सभी सवालों का जवाब आपको अच्छी तरह से मिल गया होगा|
उम्मीद करता हूं कि मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी अगर आपके मन में कोई भी सवाल/सुझाव है तो मुझे कमेंट करके नीचे बता सकते हो मैं आपके कमेंट का जरूर जवाब दूंगा| अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई है तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों के साथ में शेयर भी कर सकते हो